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Showing posts from February, 2019

Kaash Waqt Na Hota

आज बहुत वक़्त बाद जब वक़्त मिला है तो ये आवाज़ आई की काश वक़्त ना होता....  काश वक्त ना होता  ये रूह जला देने वाले सुलगते ख़यालो को  और गरमी देने का...  काश वक्त ना होता।   इन नासूर जैसे ज़ख्मो को  और गहरा करने का... काश वक्त ना होता।   जो मेरी रौशनी निगल जाए  ऐसे अँधेरे को और कालिक देने का...   काश वक्त ना होता।   ये मायूसी जो आंसू बन के बहती है  उस मायूसी को और नमी देने का... काश वक्त ना होता।   जिन सवालो की आंधी में उड़ रही हूँ  उस आंधी को और हवा देने का...  काश वक्त ना होता। ज़िंदगी की कश्मकश में उलझते धागो को  और उलझाने का... काश वक्त ना होता। ये स्याही जो इन विचारो को आकार देती है  इस स्याही को कलम देने का...  काश वक्त ना होता। काश वक्त ना होता।